जो सबके हाथों में बैठकर काम करता है ,
जो सबके पैरों में समाया हुआ चलता है ,
जो तुम सब के घट में व्याप्त है ,
उसी की अराधना करो और
अन्य सभी प्रतिमाओं को तोड़ दो !
जो एक साथ ही ऊँचे पर और नीचे भी है ,
पापी और महात्मा , इश्वर और निकृष्ट कीट ,एक साथ ही है ,
उसी का पूजन करो-जो दृश्यमान है ,
जय है , सत्य है । सर्ब व्यापी है ,
अन्य सभी प्रतिमाओं को तोड़ दो !
जो अतीत जीवन से मुक्त,
भविष्य के जन्म-मरणों से परे है ,
जिसमें हमारी स्थिति है और
जिसमें हम सदा स्थित रहेंगे ,
उसीकी अराधना करो,
अन्य सभी प्रतिमाओं को तोड़ दो !
ओ विमूढ़ !जाग्रत देवता की उपेक्षा मत करो ,
उसके अनंत प्रतिबिंबों से यह विश्व पूर्ण है ,
काल्पनिक छायाओं के पीछे मत भागो ,
जो तुम्हे विग्रहों में डालती है ,
उस परम प्रभु की उपासना करो ,
जिसे सामने देख रहे हो ,
अन्य सभी प्रतिमाओं को तोड़ दो !
यह कविता ०९ जुलाई १८९७ को स्वामी विवेकानंद द्वारा अल्मोडा से एक अमेरिकन मित्र को प्रेषित किया गया था , मेरी पसंदीदा कविताओं में एक कविता यह भी है !
right thing
ReplyDeleteउसी का पूजन करो-जो दृश्यमान है ,
ReplyDeleteजय है , सत्य है । सर्ब व्यापी है ,
सुंदर अति सुंदर .मैं अभी तक स्वामी विवेकानंद जी को बहुत टिपिकल विचरक,लेखक,समाज सुधारक समझता था.
किंतु आज यह कविता पड़कर ये भारंती दूर हो गई . इस तरह के विचारो का इंतजार रहेगा .संपर्क बनाये रखना .
http://paharibaba.blogspot.com
RAJIV MAHESHWARI
वाह जी वाह इसको कहते हैं बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteस्वामी जी की कविता को पढवाने के लिए आपका कोटि कोटि आभार बहुत ही बेहतरीन कविता है यह
स्वामी जी की कविता पढ़वाने के लिए बधाई ! आज ही स्वामी जी के शहर कोलकाता की चर्चा मैंने भी अपने ब्लॉग " मेरा भारत महान " पर की है .....!
ReplyDeleteस्वामी जी की कविता की बेहतर प्रस्तुति , बधाईयाँ!
ReplyDeleteआपकी पसंद की कविता अत्यन्त सुंदर है , बधाईयाँ!
ReplyDeleteपूर्णिमा जी ,
ReplyDeleteबहुत दार्शनिक ,अध्यात्मिक और वैचारिक मंथन से युक्त
कविता प्रकाशित की आपने.आशा करता हूँ आगे भी ऐसी
ही पोस्ट पढने को मिलेगी .शुभकामनायें.
हेमंत कुमार
अच्छी कविता सोच के साथ लिखी गई है । पढ़ने के बाद टिप्पणी देने पर मजबूर हुआ हूं । शुक्रिया
ReplyDeleteअच्छी कविता सोच के साथ लिखी गई है । पढ़ने के बाद टिप्पणी देने पर मजबूर हुआ हूं । शुक्रिया
ReplyDeleteसुंदर कमाल अद्भुत .....! मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://manoria.blogspot.com
आभार इस प्रस्तुति का.
ReplyDeleteek acchi kavita ..samaj ko disha dene ke liye
ReplyDeleteye sab yaad rakhna insan ki naitik jimmedari hai.
अति अति अति सुन्दर...
ReplyDeleteस्वामी जी सदैव प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं...
आपने इसे यहाँ लिखकर आनंद और प्रेरणा से युक्त कर दिया...
अति धन्यवाद,
जयंत